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Friday, May 7, 2021

एसिडिटी / पित्त के लक्षण, कारण और इसे ठीक करने के उपाय

 एसिडिटी के लक्षण: जिन व्यक्तियों को एसिडिटी होती है उन्हें सीने में जलन होना, सिर में भारीपन या दर्द होना, खट्टी डकार आना, जी मिचलाना, पेट फुलना, सीने में दर्द होना, कभी उलटी होना या पतले दस्त होना, शरीर में जलन होना, प्यास ज्यादा लगना, चक्कर आना, इनमें से कुछ ना कुछ लक्षण दिखाई देते हैं| | अधिक समय तक पित्त की समस्या में कॉम्प्लिकेशंस भी दिखाई देते हैं, जैसे त्वचा का लाल होना, खुजली या जलन होना, खून की कमी होना, बालों का सफेद होना या झड़ना और कभी-कभी अल्सर अर्थात आंतों में घाव भी बन जाता है जैसे गैस्ट्रिक अल्सर या ड्योडनल अल्सर|


पित्त बढ़ने के कारण:  इसमें सबसे जरूरी है हमारा खान-पान हम कब, क्या, कितना और किस तरह से खाना खा रहे हैं यह जानना बहुत आवश्यक है| सबसे पहले देखते हैं कि खाना कब खाना चाहिए| पेट अच्छे से साफ होने के बाद, अच्छी भूख लगने पर भोजन करना चाहिए| सुबह का खाना 10:00 बजे से 2:00 बजे तक ले सकते हैं| हो सके तो 12:00 बजने के पहले आप खाना खा लेना चाहिए ताकि अगले 2 घंटे जो पित्त का समय होता है उसमें भोजन का पचन अच्छे से शुरू हो सके|


खाने का समय भी फिक्स रखें अगर भोजन पचाने वाला पित्त तैयार है और उसको खाना नहीं मिला तो वह भी तकलीफ दे सकता है शाम का खाना भी जल्दी खा ले खाना खाने और सोने के बीच में ढाई से 3 घंटे का अंतर रखें ताकि खाने का पाचन अच्छा हो और नींद भी अच्छी आए अगर इन नियमों का पालन नहीं करते तो खाना ठीक से नहीं पचेगा अगर आपने पहले कुछ खाया है और आपको भूख नहीं है फिर भी सिर्फ स्वाद के लिए आप खाते हैं तो यह भी अच्छा नहीं है इसके साथ ही आयुर्वेद ने विरुद्ध आहार का वर्णन किया है यानी ऐसी चीजें जिनका साथ में सेवन नहीं करना चाहिए जैसे दूध और खट्टे फल तो मिल्कशेक विरुद्ध आहार है शहद को भी कभी गर्म नहीं करना है और ना ही इसे गर्म चीजों के साथ सेवन करना है, दही को भी कभी गर्म नहीं करना है, दूध और नमक भी कभी साथ में नहीं लेना है, चाय के साथ रोटी भी नहीं लेनी चाहिए क्योंकि चाय में दूध और रोटी में नमक होता है और चाय पित्तवर्धक भी होती है|


यदि किसी को अपचन या इनडाइजेशन हुआ है तो तकलीफ दूर होने तक या अच्छी भूख लगने तक कुछ ना खाएं आप सिर्फ थोड़ा थोड़ा गर्म पानी पी सकते हैं इसके साथ ही जंक फूड, बेकरी प्रोडक्ट्स या फिर तला हुआ भोजन पचने में भारी खाना, जैसे नॉन वेज है या ऐसा खाना जो बहुत ज्यादा मिर्च मसाले डालकर बनाया गया है या फिर चीज पनीर इन चीजों का अगर आप बार-बार सेवन करते हैं या फिर फर्मेंटेड फूड जैसे इडली ढोकला आपके खाने में ज्यादा है तो यह सब चीजें पित्त को बढ़ाने वाली हैं| जो लोग बहुत ज्यादा उपवास करते हैं या उपवास के दिनों में साबूदाना या तली हुई चीजें ज्यादा खाते हैं उनको भी एसिडिटी की तकलीफ होती है| 


ज्यादा पानी पीना भी पित्त बढ़ाने का एक कारण है| आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति को भी पानी कम पीना चाहिए| आप अपनी प्यास प्रकृति और मौसम के अनुसार पानी पियें, बिना प्यास के नहीं| जब आप खड़े-खड़े खाना खाते हैं या टीवी देखते हुए, बातें करते हुए खाना खाते हैं या फिर अगर आप गुस्से में हैं, किसी बात का मन में डर है, चिंता है या आपका मूड ठीक नहीं है तो इस समय अगर खाना खाएंगे तो उसका पचन भी ठीक से नहीं होगा| इसके अलावा रात में जागना, दिन में सोना या बहुत सारे काम एक समय पर करना, जिसे मल्टीटास्किंग कहा जाता है यह भी पित्त को बढ़ाता है| 


पित्त कम करने के उपाय और आयुर्वेदिक औषधियां: जो खाना हम खा रहे हैं वह हमारे लिए अच्छा हो, जितना आवश्यक है उतना ही हो और उसमें हरे पत्ते वाली सब्जियां कम मात्रा में होनी चाहिए| खाना ताज़ा और हल्का हो, भोजन का स्वाद कसेला, कड़वा और मीठा रस का होना चाहिए जो पित्त को कम करता है| खाने में आप करेला, लौकी जैसी सब्जियां खा सकते हैं| मूंग की दाल लिया करें, शुद्ध देसी गाय का घी भी खाने में जरूर लें|


आंवले का मुरब्बा या चूर्ण भी आप ले सकते हैं| धनिया, जीरा, सौंफ को पानी में उबालकर पानी का सेवन आप कर सकते, यह पानी भी पित्त के बढ़ने से जो जलन होती है उसको कम करता है| सोंठ के पाउडर को मिश्री के साथ सुबह लेने से भी जी मिचलाना उल्टी जैसा लगना जैसी तकलीफ में आराम देता है, पाव चम्मच सोंठ का चूर्ण और आधा चम्मच मिश्री का पाउडर आप साथ में ले सकते हैं| शतावरी का चूर्ण या शतावरी कल्प, मुलेठी का चूर्ण भी पित्त की समस्या में फायदेमंद होता है| इसके अलावा आयुर्वेदिक औषधियां भी हैं जैसे अविपत्तिकर चूर्ण, कामदुधा रस आदि| 


Disclaimer - उपरोक्त जानकारी आयुर्वेद के शास्त्रों, ग्रंथों में उपलब्ध जानकारी के आधार पर दी गयी है| इसलिए, इसके प्रयोग से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें| इस जानकारी के प्रयोग से किसी भी प्रकार की शारीरिक / मानसिक / आर्थिक क्षति के लिए इस ब्लॉग से जुड़े व्यक्ति उत्तरदायी नहीं होंगे! 


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